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स्थानीय लोकतांत्रिक शासन पर हुआ तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन

  • Writer: Abua Disum
    Abua Disum
  • Jun 26, 2023
  • 2 min read

तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में तीन दशकों के स्थानीय लोकतांत्रिक शासन के तजुर्बे और भावी संभावनाओं पर हुआ सघन विमर्श। अज़ीम प्रेमजी विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित ‘भारत में स्थानीय लोकतांत्रिक शासन’ तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन 21 से 23 जून होटल चाणक्य बीएनआर में हुआ। इस संगोष्ठी में 25 सत्रों में देश के 11 राज्यों से आए करीब 270 सामाजिक कार्यकर्ताओं, गैर- सरकारी संगठनों के सदस्यों, पत्रकारों, सरकारी महकमों के अधिकारियों, अकादमिक जगत से जुड़े लोगों और स्थानीय निकायों के जन-प्रतिनिधियों ने शिरकत की। सम्मेलन की शुरुआत एक उद्घाटन सत्र से हुई जहां प्रमुख सरकारी अधिकारियों, विद्वानों, शोधकर्ताओं और स्थानीय शासन के क्षेत्र के विशेषज्ञों ने पंचायती राज, पेसा (अनुसूचित क्षेत्रों में पंचायत विस्तार) और एफआरए (वन अधिकार अधिनियम) की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और विकास पर अपनी अंतर्दृष्टि साझा की। मुख्य भाषणों में सहभागी लोकतंत्र, सत्ता के हस्तांतरण और स्थानीय समुदायों के सशक्तिकरण के महत्व पर जोर दिया गया।



सम्मेलन में कई पैनल चर्चाएं और इंटरैक्टिव सत्र आयोजित किए गए। प्रख्यात पैनलिस्टों ने अपने इच्छित उद्देश्यों को प्राप्त करने में पंचायती राज संस्थानों के सामने आने वाली चुनौतियों, आदिवासी समुदायों पर पेसा के प्रभाव और वनवासियों के अधिकारों की रक्षा में एफआरए की भूमिका पर प्रकाश डाला। प्रस्तुतकर्ताओं ने भारत के विभिन्न क्षेत्रों से केस अध्ययन, शोध निष्कर्ष और सफलता की कहानियों को साझा किया, जिसमें सकारात्मक परिणामों और सीखे गए सबक पर प्रकाश डाला गया।

अंतिम दिन, सम्मेलन के प्रतिभागी सहयोगात्मक कार्यशालाओं और राउंड टेबल चर्चाओं में शामिल हुए। इन सत्रों का उद्देश्य स्थानीय लोकतांत्रिक शासन में मौजूदा अंतरालों और चुनौतियों का समाधान करने के लिए कार्रवाई योग्य रणनीतियों, नीतिगत सिफारिशों और नवीन दृष्टिकोणों की पहचान करना था।





भारत में स्थानीय लोकतांत्रिक शासन पर राष्ट्रीय सम्मेलन ने हितधारकों को चर्चा करने, विचारों का आदान-प्रदान करने और पंचायती राज, पेसा और एफआरए से संबंधित चुनौतियों और अवसरों की सामूहिक समझ विकसित करने के लिए एक अमूल्य मंच प्रदान किया। सम्मेलन ने सार्थक बातचीत शुरू करने, नीतिगत सिफारिशें तैयार करने और भारत में स्थानीय लोकतांत्रिक शासन को मजबूत करने के लिए सहयोग को बढ़ावा देने के लिए उत्प्रेरक के रूप में कार्य किया।




तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में झारखंड सरकार के मुख्यमंत्री कार्यालय की मुख्य सचिव वंदना डाडेल, पंचायती राज मंत्रालय, भारत सरकार के मुख्य सचिव श्री सुनील कुमार, पत्रकार श्री पी. साईनाथ, अनामया संस्था से गुंजल इकिर मुण्डा (प्रबंधक, संस्कृति), अखड़ा से रुपेश साहू आदि उपस्थित थे।संचालन, अज़ीम प्रेम जी फाउंडेशन के ज़ुल्फिकार हैदर ने किया। अंत में सभी महत्वपूर्ण योगदान कर्ताओं का आभार व्यक्त किया गया।


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